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अपडेटेड 29 May 2025 at 11:07 IST

'बेटे को बचाने के लिए पहले लीवर डोनेट किया और फिर किडनी', सिर्फ मां ही है जो हर मुश्किल घड़ी में साथ खड़ी हो

ममता की कोई सीमा नहीं होती और इस बात को एक 60 साल की मां ने साबित कर दिखाया। दिल्ली के इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) में एक महिला ने अपने बेटे को जीवनदान देने के लिए पहले लीवर और अब किडनी दान की है।

Reported by: Digital Desk
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Mother Donates Liver Kidney
मां की ममता का अनोखा उदाहरण | Image: FB/ ckdaware

Mother Donates Liver Kidney: ममता की कोई सीमा नहीं होती और इस बात को एक 60 साल की मां ने साबित कर दिखाया। दिल्ली के इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) में एक महिला ने अपने बेटे को जीवनदान देने के लिए पहले लीवर और अब किडनी दान की है। यह एक दुर्लभ मामला है जिसमें एक ही व्यक्ति ने एक ही प्राप्तकर्ता को दो अलग-अलग अंग दान किए हैं और वह भी करीब एक दशक के अंतराल पर।

डॉक्टरों के मुताबिक, यह भावनात्मक कहानी 1997 में शुरू हुई जब मां ने अपने बेटे को जन्म दिया। समय बीतने के साथ 2015 में बेटे को गंभीर लिवर की बीमारी का पता चला। उस समय मां ने अपने लीवर का एक हिस्सा दान कर बेटे की जान बचाई। इस सफल लीवर ट्रांसप्लांट के बाद बेटा लगभग 10 साल तक स्वस्थ जीवन जीता रहा।

किडनी फेल होने के बाद मां ने फिर दिखाई हिम्मत 

लेकिन हाल ही में बेटे की किडनी फेल हो गई और उसे डायलिसिस पर निर्भर रहना पड़ा। इस कठिन वक्त में मां ने फिर से अपने बेटे के लिए अंगदान करने का फैसला लिया। ILBS की रीनल ट्रांसप्लांट टीम ने यह जटिल सर्जरी डॉ. अभियुत्थान सिंह जादौन के साथ की। पिछले लिवर सर्जरी के बावजूद मां की सेहत अच्छी थी, जिसके चलते उन्हें किडनी डोनेट करने की अनुमति दी गई।

किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को डॉ. आर. पी. माथुर की अगुआई में नेफ्रोलॉजी टीम ने संभाला। टीम को पहले किए गए लिवर ट्रांसप्लांट के कारण कई समस्याओं का सामना करने पड़ा, लेकिन बाद में सफलता मिली और ट्रांसप्लांट हो गया। 10 दिनों की रिकवरी के बाद बेटे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने इस मामले को भावनात्मक और चिकित्सकीय रूप से ऐतिहासिक बताया।

ILBS की भूमिका और अंगदान का संदेश

दिल्ली ILBS भारत में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाता है। यह घटना न सिर्फ एक मां की ममता की मिसाल है, बल्कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाला संदेश भी है। यह कहानी हमें सिखाती है कि मां की ममता सिर्फ जन्म तक सीमित नहीं होती, वह जीवन की हर मुश्किल घड़ी में अपने बच्चे के लिए खड़ी रहती है। चाहे कीमत कुछ भी हो।

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पब्लिश्ड 29 May 2025 at 11:07 IST

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