अपडेटेड 4 June 2025 at 23:42 IST
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प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से लाखों की संख्या में लोग भक्ति मार्ग में प्रवेश करके अपने जीवन में भक्ति रस घोलकर अपना जीवन सफल कर रहे हैं।
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प्रेमानंद महाराज ने भक्तों के लक्षण बताते हुए कहते हैं कि जो प्रतिकूलता नहीं सह पाता वो भक्त हो ही नहीं सकता है।
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर हम प्रतिकूलता को सह नहीं पाएंगे तो हम भगवत रस हृदय में धारण नहीं कर पाएंगे।
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प्रेमानंद महाराज घड़े का उदाहरण देते हुए कहा कि कुम्हार मिट्टी को खेत से लाता है, फिर उसे कूटता है, चाक पर मटका बनाता है और फिर आग में तपाता है, तब जाकर उसमें पानी ठंडा होता है।
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जब मटके को पानी भरने लायक बनने के लिए इतना सब सहना पड़ता है तो हमें तो भगवान का प्रेम रस और भक्ति रस अपने हृदय में रखना है, हमें तो प्रतिकूलता और अपमान सहना ही पड़ेगा।
/ Image: Facebookपब्लिश्ड 4 June 2025 at 23:42 IST